Cloud Computing Kya Hai: जानिए क्या है क्लाउड कंप्यूटिंग के बारें में सबकुछ?

अभी तक आप ने Cloud Computing के बारे में तो जरुर सुना होगा औऱ यूज कर रहे हैं लेकिन आप को ये नहीं पता है, कि क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है, क्लाउड कंप्यूटिंग कैसे काम करती कैसे काम करती है? क्लाउड कंप्यूटिंग कितने प्रकार की होती है। और आज के समय में क्लाउड कंप्यूटिंग क्यों इतनी ज्यादा पॉपूलर हो रही है। आदि के बारे में। तो चलिए इस लेख में क्लाउड कंप्यूटिंग क्या है (Cloud Computing kya hai) इसके बारे में बताते है।

Cloud Computing Kya Hai

क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing) एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जिसमें डाटा और प्रोग्राम को इंटरनेट में स्टोर और एक्सेस किया जाता है। जैसे कि हम सब Gmail यूज करते हैं, गूगल ड्राइव यूज करते हैं या नेटफ्लिक्स यूज करते हैं तो आप पहले से क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing kya hai) पर है।

यहां पर क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing kya hai) को और डिटेल्स में समझे तो  क्लाउड कंप्यूटिंग एक तकनीक है जिसके द्वारा data या information को इंटनेट की सहायता से स्टोर, मैनेज और retrieve यानि फिर से प्राप्त करना किया जाता है।

क्लाउड कंप्यूटिंग एक प्रकार की डिलीवरी होती है जिसमे इंटरनेट पर होस्ट की गई सेवाएं (service) शामिल है। क्लाउड कंप्यूटिंग में कई प्रकार के resources शामिल होते है जैसे कि – डेटा स्टोरेज, सर्वर, डेटाबेस, नेटवर्किंग, और एप्लीकेशन।

इसे और भी आसान भाषा में समझें तो जब भी हम कोई data कंप्यूटर में स्टोर करते हैं तो हम उसे हार्ड डिस्क में स्टोर करते हैं परन्तु क्लाउड कंप्यूटिंग के द्वारा हम अपने data को cloud में स्टोर कर सकते हैं. क्लाउड कंप्यूटिंग किसी स्टार्टअप, बिज़नेस या फर्म के लिए काफी यूजफुल है कम खर्च में ये तकनीक काम करती है और इससे  productivity (उत्पादकता) को बढ़ाती है , सुरक्षा को बेहतर बनाती है और परफॉरमेंस की बढ़ाती है। यह उन organization के लिए एक बेहतर विकल्प है जिन्हे ज्यादा मैमोरी स्पेस की ज़रूरत पड़ती है और समय समय पर बैकअप लेना पड़ता है। जिसमें सॉफ्टवेयर कंपनी का डाटा, और जो कंपनी को रन करने के लिए जरुरत होती है।

क्लाउड कंप्यूटिंग के उदाहरण

क्लाउड कंप्यूटिंग (Cloud Computing kya hai) के उदाहरण की बात करें तो Google cloud, Amazon aws और Microsoft azure आदि जैसी प्लेटफॉर्म इसके उदाहरण है। हमे उम्मीद दी है आप को Cloud Computing क्या है इसके बारे में समझ आ गया होगा।

Types of Cloud Computing

क्लाउड कंप्यूटिंग 4 प्रकार की होती है और इन सेवाओं को तीन कैटेगरी में बांटा गया है, पहला IaaS, दूसरा PaaS और तीसरा SaaS। इसके बारे में लेख में आगे हम जानगें सबसे पहले यहां पर क्लाउड कंप्यूटिंग के कितने प्रकार होते हैं (Types of Cloud Computing) के बारे में बात करेगें। तो चलिए अब बात करते हैं क्लाउड कंप्यूटिंग कितने प्रकार की होती है। आप को बता दें कि क्लाउड कंप्यूटिंग के 4 प्रकार होते हैं। अब यहां पर क्लाउड कंप्यूटिंग कितने प्रकार के बारे में एक -एक करके जानते हैं।

  1. पव्लिक क्लाउड
  2. प्राईवेट क्लाउड
  3. हाइब्रिड क्लाउड
  4. कम्युनिटी क्लाउड

1- Public Cloud

पब्लिक क्लाउड वो क्लाउड होते है जो यूजर को इंटरनेट पर क्लाउड सेवाएं प्रदान करते है। Public Cloud का इस्तेमाल कोई भी व्यक्ति इंटरनेट की मदद से कर सकता है। इसमें कोई भी व्यक्ति data को स्टोर और एक्सेस कर सकता है।

पब्लिक क्लाउड में pay-per-use के हिसाब से पैसे देने पड़ते है अर्थात् इसका आप जितना इस्तेमाल करते हैं आप को उतने ही पैसे देने पड़ते है।  पब्लिक क्लाउड को third party  Amazon, Mi crosoft और Google आदि जैसी कंपनियों के द्वारा मैनेज किया जाता है। यह उन लोगो के लिए बेहतर विकल्प है जिनके पास कम पैसा होता है। यह क्लाउड एक समय में एक से ज्यादा यूजर को सेवा प्रदान करता है।

पब्लिक क्लाउड के उदाहरण की बात करें तो, IBM SmartCloud Enterprise, Microsoft, Google App Engine, जैसे कई  Platform  इसके उदाहरण है आप को बता दें कि इस क्लाउड में कंप्यूटिंग रिसोर्सेज को CSP (क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर) के द्वारा मैनेज किया जाता है।

2. Private Cloud

प्राइवेट क्लाउड वह होते है जो प्राइवेट इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम करते है। इसे internal या corporate cloud के नाम से भी जाना जाता है। प्राइवेट क्लाउड को इस तरह आप मान लीजिए किसी कंपनी का डाटा जो उस कंपनी के खुद के काम में यूज किया जाए है।

वही प्राइवेट क्लाउड के और भी डिटेल्स में बात करें तो, प्राइवेट क्लाउड वे क्लाउड होते है जिनका यूज प्राइवेट कंपनी के द्वारा किया जाता है। प्राइवेट क्लाउड का इस्तेमाल कंपनी के द्वारा डेटा को मैनेज करने और अपने डेटा सेंटर बनाने के लिए किया जाता है।

Private cloud की सुरक्षा बहुत तगड़ी रहती है जिसमें firewall का इस्तेमाल data को सेफ रखने के लिए किया जाता है। इस क्लाउड को यूजर के द्वारा मैनेज किया जाता है और इसको क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर कोई सेवाएं प्रदान नहीं करते। उदाहरण के लिए, Google और Microsoft दोनों ही अपने स्वयं के क्लाउड इन्फ्रास्ट्रक्चर के मालिक हैं और बाद में इंटरनेट यूजर्स को एक्सेस देते हैं।

3.हाइब्रिड क्लाउड

यह पब्लिक और प्राइवेट दोनों को मिलाकर बनाया जाता है। इसमें कुछ हिस्सा पब्लिक के लिए उपलब्ध होता है जिसे आम लोग यूज कर सके, वही कुछ हिस्सा ऐसा होता है जिसे केवल संगठन एक्सेस दे सकते हैं।  हाइब्रिड क्लाउड को heterogeneous cloud भी कहते है यह पब्लिक और प्राइवेट दोनों की सेवाएँ प्रदान करता है।

हाइब्रिड क्लाउड उन organization या company के लिए बेहतर होते है जिन्हे अधिक सुरक्षा की ज़रूरत होती है। इस क्लाउड की सुरक्षा public cloud से तो अच्छी होती है परन्तु private cloud से कम होती है।

हाइब्रिड क्लाउड के उदाहरण है – सोशल मीडिया के प्लेटफॉर्म, फेसबुक,  Gmail, Google Apps, Google Drive, और MS Office आदि।

4. कम्युनिटी क्लाउड

कम्युनिटी क्लाउड यह एक ऐसा क्लाउड है जहां पर दो या दो से अधिक organization आपस में मिलकर किसी ऐसे क्लाउड प्लेटफॉर्म का प्रयोग करते हैं। जहां वे हर इनफॉरमेंशन आपस में शेयर कर सके। इस क्लाउड को एक या एक से अधिक organization या थर्ड पार्टी के द्वारा मैनेज किया जाता है। Security के मामले में यह क्लाउड अच्छे होते है।

दूसरे क्लाउड की तुलना में यह काफी सस्ते होते है। यह पब्लिक क्लाउड की तुलना में अधिक सुरक्षित होते है।
कम्युनिटी क्लाउड का उदाहरण – Health Care community cloud है।

Types of Cloud Computing services

ये बात हुई क्लाउड कंप्यूटिंग कितने प्रकार ( Types of Cloud Computing) की होती है।। अब बात करते हैं, क्लाउड कंप्यूटिंग की सर्विस कितने प्रकार (Types of Cloud Computing services) की होती है।

IaaS (Infrastructure as a service)

क्लाउड कंप्यूटिंग सर्विस में पहला है IaaS यानि infrastructure as a service है। यह एक ऐसा सर्विस model है जिसमें कस्टमर को क्लाउड सर्विस में हार्डवेयर, नेटवर्किंग तथा स्टोरेज सर्विसेज उपलब्ध करायी जाती है।

इसे और भी आसान भाषा में समझे तो infrastructure as a service इक ऐसी सर्विस है जहां पर नेटवर्किंग डिवाइस , डेटाबेस और वेब सर्वर एंटरप्राइज को एक infrastructure प्रदान करती है। और इसे Haas के नाम से भी जाना जाता है। इसमें यूजर को उतने ही पैसे देने पड़ते है जितना वो इसका इस्तेमाल करते हैं।

यह सर्विस मॉडल एप्लीकेशन और सर्विसेज को विकसित करने के लिए ऑपरेटिंग सिस्टम, सुरक्षा, नेटवर्किंग और सर्वर प्रदान करता है। इसका उदाहरण हैं:- गूगल कंप्यूट इंजन, और माइक्रोसॉफ्ट अजुरे (azure) आदि।

Paas (Platform as a Service)

Paas का पूरा नाम (Platform as a Service) है। यह एक ऐसा सर्विस प्रोवाइडर है जो अपने कस्टमर को एक ऐसा प्लेटफार्म देता है जिसमें कि वो आसानी से सॉफ्टवेर एप्लीकेशन को बना सकें, मैनेज कर सकें, तथा डिलीवर कर सकें।

इस सर्विस का इस्तेमाल वेब डेवेलपर्स के द्वारा कस्टम एप्लीकेशन बनाने के लिए किया जाता है। इसका उदाहरण हैं: गूगल एप इंजन, और अमेज़न वेब सर्विसेज आदि।

Saas (Software as a Service)

Saas का पूरा नाम (Software as a Service) होता है। यह एक स्पेशल कंप्यूटिंग सर्विस जिसका इस्तेमाल इंटरनेट पर एप्लीकेशन और सेवाओं को डिस्ट्रीब्यूट करने के लिए किया जाता है। सॉफ्टवेयर एज ए सर्विंस  की सबसे अच्छी बात यह है कि हमें इसमें किसी सॉफ्टवेर एप्लीकेशन को इंस्टाल, मेनटेन, और रन करने की जरुरत नहीं होती है क्योंकि इसके सारें सॉफ्टवेर एप्लीकेशन वेब ब्राउज़र से सीधे ही संचालित होते हैं।

आज के समय में कई कंपनी Software as a Service पर काम कर रही जो नए स्टार्टअप को खाफी हेल्प करते हैं और कोई नए बिनजेस को चालाना और भी आसान हो जाता है। SaaS के जरिए ब्राउज़र पर एक सर्विस के रूप में ग्राहकों को उपलब्ध कराई जाती है SaaS में कस्टमर का डेटा पूरी तरह सुरक्षित होता है।

यदि सिस्टम में कोई खराबी भी आ जाएँ तो भी डेटा सुरक्षित रहता है।  इसमें IaaS और PaaS दोनों तरह की सेवाएं शामिल होती है। SaaS एप्लीकेशन के उदाहरण है:- google apps, और office365 आदि। इसके आलावा और भी कंपनी तरह की Cloud Computing में services दे रही है जिससे नए बिजनेस और स्टार्टअप के लिए काम करना आसान हो जाता है।

Faas (Functions as a Service)

Faas का पूरा नाम (Functions as a Service) है। ये भी क्लाउड कंप्यूटिंग में एक पॉपूलर तकनीक है जो डेवेलपर्स को इंटरनेट पर एप्लीकेशन बनाने के लिए एक प्रकार का वातावरण या प्लेटफार्म प्रदान करती है। यह सर्विस यूजर के कोड को विकसित करने , कैलकुलेशन करने और उसे execute करने में मदद करती है।

यह सर्विस यूजर को इंफ्रास्ट्रक्चर को मेन्टेन किये बिना ही कोड को डेवेलोप करने और अपडेट करने की परमिशन देती है। Faas एप्लीकेशन के उदाहरण है: Alibaba Cloud Function Compute, AWS Lambda, Google Cloud Functions, IBM Cloud Functions based on Apache OpenWhisk, Microsoft Azure Functions, Oracle Cloud Functions आदि है।

क्लाउड कंप्यूटिंग के फायदें और नुकसान

क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में बात करें और इसके फायदें और नुकसान नहीं जानते हैं तो जानकारी अधूरी रहती है। 

क्लाउड कंप्यूटिंग के फायदें

सबसे पहले क्लाउड कंप्यूटिंग के फायदे की बात करें तो क्लाउड अनलिमिटेड स्टोरेज की सुविधा प्रदान करता है, यह यूजर के डॉक्यूमेंट जैसे इमेज, विडियो, फाइल आदि को क्लाउड में स्टोर करने की सुविधा देता है। यूजर अपनी मर्जी के अनुसार थोड़े से चार्ज पर क्लाउड स्टोरेज को बढ़ा सकते हैं।

  • यूजर इंटरनेट के जरिए दुनिया के किसी भी कोने में बैठ कर कहीं भी, कभी भी क्लाउड में स्टोर डेटा को तेज और आसानी से एक्सेस कर सकता है।
  • क्लाउड कंप्यूटिंग को मेन्टेन करने की कॉस्ट बहुत कम होती है।
  • एक बार जब डेटा क्लाउड में स्टोर हो जाता है तो क्लाउड का उपयोग करके डेटा का बैकअप प्राप्त करना और डेटा को Restore करना आसान हो जाता है। जिससे डाटा लॉस्ट होने का डर नहीं होता है।
  • डेटा की सुरक्षा क्लाउड कंप्यूटिंग के सबसे महत्वपूर्ण लाभों में से एक है। क्लाउड डेटा को सुरक्षित स्टोर करने के लिए कई Advance सुविधाएं देता है।

क्लाउड कंप्यूटिंग के नुकसान  

क्लाउड कंप्यूटिंग के फायदों के साथ– साथ कुछ नुकसान भी हैं। चलिए एक नजर क्लाउड कंप्यूटिंग के नुकसानों में भी डाल लेते हैं।

  • क्लाउड कंप्यूटिंग में डेटा को क्लाउड में स्टोर किया जाता है, इसलिए आपको डेटा को एक्सेस करने के लिए अच्छे इन्टरनेट कनेक्शन की जरुरत होती है। बिना इंटरनेट  कनेक्शन के आप क्लाउड कंप्यूटिंग में स्टोर डेटा को एक्सेस नहीं कर सकते हैं। हालांकि आज के समय में इंटरेनट की स्पीड में तेजी से बदलाव आ रहा है।
  • जैसा की क्लाउड कंप्यूटिंग पूरी तरह से इंटरनेट पर निर्भर है तो अगर कभी इंटरनेट कनेक्टविटी खो जाती है तो आपका काम वही रुक जाता है। यह भी क्लाउड कंप्यूटिंग नुकसान है।
  • क्लाउड इंफ्रास्ट्रक्चर पूरी तरह से क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर की ऑनरशिप होती हैं, इसे मैनेज और मॉनिटर क्लाउड सर्विस प्रोवाइड ही कर सकते हैं। इसलिए यूजर के पास क्लाउड सेवाओं के कार्यों पर कम नियंत्रण होता है।
  • हालाँकि नए क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म का इस्तेमाल करना आसान होता है लेकिन अपनी मौजूद एप्लीकेशन को किसी दुसरे क्लाउड प्लेटफ़ॉर्म पर माइग्रेट करना अधिक जटिल और महंगा हो सकता है।क्योंकि सभी क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर अलग – अलग प्लेटफ़ॉर्म प्रदान करते हैं।
  • इसमें इस बात का भी जोखिम रहता है की कोई भी आपके Data को Access कर सकता है। आपके Data पर कभी भी Cyber Attack हो सकता है।