what is 5g technology in hindi

what is 5g technology in hindi:- Tele-Communication  की नई टेक्नोलॉजी जल्द भारत में अपनी जगह बनाने जा रही है। जी हां हम बात कर रहें है सबसे तेज मोबाइल नेटवर्क यानि पांचवे जेनरेशन के 5जी नेटवर्क की, 5G की स्पीड की इस तरह से अंदाजा लगा सकते है। 4G नेटवर्क की स्पीड का 100 गुना, 4G की तरह ही, 5G भी उसी मोबाइल नेटवर्किंग प्रिंसिपल पर आधारित है। इस लेख में आप को 5G के बारे में क्या कुछ बदलने वाला है। इससे क्या फायदे है, नुकसान है, बारे में जानगें।

हम साल 2021 में पहुंच चुके हैं और यह 5G का दौर है! 5G के बारे में पिछले दो से तीन सालों से चर्चा हो रही है और अब चीन, अमेरिका, जापान और यहां तक कि दक्षिण कोरिया सहित कई  देशों में इसका इस्तेमाल शुरू हो चुका है। 5G की चर्चा होते ही हम ऑटोमेटिक व्हीकल, ऑग्मेंटेड रियलिटी और इंटरनेट ऑफ थिंग्स जैसी चीजों पर बात करने लगते हैं।

what is 5g technology in hindi

सबसे पहले समझ लेते है कि मोबाइल फोन टेक्नोलॉजी Generation के बारे में कि कौन जेनरेशन कब आई और इसके कितना स्पीड है।

1जी टेक्नोलॉजी: -1जी टेक्नोलॉजी  एनेलोग सिग्नल का इस्तेमाल करता था। इसे 1980 में पेश किया गया। इसकी स्पीड लिमिट 2.4 kbps पर काम करता था। सबसे पहले इसे अमेरिका में पेश किया गया था।

2जी टेक्नोलॉजी: -2जी टेक्नोलॉजी  1991 में आई थी। यह GSM पर आधारित थी। यह डिजिटल सिग्नल इस्तेमाल करती थी। इसकी स्पीड 64 kbps थी। इसे पहले फिनलैंड में लॉन्च किया गया था।

2000 में आई 3G तकनीक:-इसके जरिए है वी गेम्स, बड़ी फाइल्स को ट्रांसफर करना और वीडियो कॉलिंग फीचर जैसे सर्विस दी जाने लगी। इन्हें स्मार्टफोन भी कहा जाता है। इसके बाद नए डाटा प्लान्स लॉन्च किए गए।

2011 में आई 4जी तकनीक:-4जी तकनीक में 2011 आई।इसके जरिए यूजर्स 100 Mbps यानि 1 Gbps की स्पीड का इस्तेमाल कर सकते हैं।

5जी को हाल के बर्षों डेवलप किया गया है। जोकि भारत इसके ट्रायल शुरु किया जा रहा है। जिससे आने वाले महिनों में कंपनिया स्मार्टफोन यूजर्स को ये सर्विस उपलब्ध करा देगीं। ऐसे में आप के लिए यह जानना जरुरी है कि लोगों के लाइफ पर 5जी के आने से क्या असर पड़ेगा, क्या इस तेज काम किया जा सकेगा, आईओटी डिवाइस को भी हेल्प करेगा।

ऐसा माना जा रहा है कि इसकी कनेक्टिविटी और स्पीड में कोई लिमिट नहीं होगी। ये भविष्य की वायरलैस तकनीक होगी। 5जी सपोर्ट फोन में ज्यादा सिक्योरिटी होगी। इंटरनेट के फास्ट चलने से कई कामों पर इसका असर पड़ेगा। खैर इन सबके बारें में आगें जानगें।

What is 5G / 5G क्या है?

5G मोबाइल नेटवर्क का पांचवा जेनरेशन है। 5G को इस तरह से सोचिए कि 4G नेटवर्क की स्पीड का 100 गुना यानि कि 4G की तरह ही, 5G भी उसी मोबाइल नेटवर्किंग प्रिंसिपल पर आधारित है। पांचवी पीढ़ी की वायरलेस तकनीक अल्ट्रा लो लेटेन्सी (आपके फोन और टावर के बीच सिग्नल की स्पीड) और मल्टी-जीबीपीएस डेटा स्पीड पहुंचाने में सक्षम है।

कैसे काम करता है 5G तकनीक, यह एक सॉफ्टवेयर आधारित नेटवर्क है, जिसे वायरलेस नेटवर्क की स्पीड और कार्यक्षमता को बढ़ाने के लिए बनाया गया है। यह तकनीक डेटा क्वांटिटी को भी बढ़ाती है, जो वायरलेस नेटवर्क को ट्रांसमिट किया जा सकता है।

5G टेक्नोलॉजी के पांच आधार पर डेवलप किया गया है

मिलीमीटर-वेव 5GL:- मिलीमीटर-वेव 5G बहुत सारा डेटा एक्वॉयर करता है, जो 1 जीबी प्रति सेकेंड की स्पीड से डेटा ट्रांसफर को संभव बनाता है। ऐसी तकनीक फिलहाल अमेरिका में वेरीजॉन और AT&T जैसे टेलीकॉम ऑपरेटर इस्तेमाल कर रहे हैं।

स्पीड सेल्स:-5G टेक्नोलॉजी का दूसरा आधार स्पीड सेल्स है। मिलीमीटर-वेव में रेंज के साथ दिक्कत है जिसकी भरपाई स्पीड सेल्स करता है। चुंकि mm वेव रुकावटों में काम नहीं कर सकता है, इसलिए मेन सेल टावर से सिग्नल रिले करने के लिए पूरे क्षेत्र में बड़ी संख्या में मिनी सेल टावर्स लगाए जाते हैं। इन छोटे सेल को परंपरागत टावर की तुलना में कम दूरी पर रखा जाता है ताकि यूजर्स को बिना किसी रुकावट के 5G सिग्नल मिल सके।

मैक्सिमम MIMO:- 5G टेक्नोलॉजी का मैक्सिमम MIMO का अगला आधार है इसे यानी मल्टीपल-इनपुट और मल्टीमल आउटपुट टेक्नोलॉजी कहा जाता है इस तकनीक का इस्तेमाल कर ट्रैफिक को मैनेज करने के लिए बड़े सेल टावर्स का इस्तेमाल किया जाता है। एक रेगुलर सेल टावर जिससे 4G नेटवर्क मिलता है, वो 12 एंटीना के साथ आता है जो उस क्षेत्र में सेल्युलर ट्रैफिक को हैंडल करता है।

MIMO 100 एंटीना को एक साथ सपोर्ट कर सकता है जो अधिक ट्रैफिक रहने पर टावर की क्षमता को बढ़ाता है। इस तकनीक के सहारे आसानी से 5G सिग्नल पहुंचाने में मदद मिलती है।

बीमफॉर्मिंग:-बीमफॉर्मिंग एक ऐसी तकनीक है जो लगातार फ्रीक्वेंसी की कई सारे सोर्सेस को मॉनिटर कर सकती है और एक सिग्नल के ब्लॉक रहने पर दूसरे मजबूत और अधिक स्पीड वाले टावर पर स्विच करती है। यह सुनिश्चित करती है कि खास डेटा सिर्फ एक खास दिशा में ही जाए।

फुल डुप्लेक्स:- जानकारी के लिए आप को बता दें कि डुप्लेक्स के बारे में आप नें जरुर पढ़ा होगा। फुल डुप्लेक्स एक ऐसी तकनीक है, जो एक समान फ्रीक्वेंसी बैंड में एक साथ डेटा को ट्रांसमिट और रिसीव करने में मदद करता है। लैंडलाइन टेलीफोन और शॉर्ट वेव रेडियो में इस तरह की तकनीक का इस्तेमाल होता हैय़ यह टू-वे स्ट्रीट की तरह है, जो दोनों तरफ से समान ट्रैफिक भेजता है।

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इन्हीं पांच आधारों 5G टेक्नोलॉजी पर बनी है, इस टेक्नोलॉजी के लिए आम तौर पर 3Gzh – 6Gzh फ्रीक्वेंसी के बीच है। इलेक्ट्रॉनिक  डिवाइस की रीच बढ़ाने के लिए इसी फ्रिक्वेंसी का यूज़ होता है जिसमें  लैपटॉप, मोबाइल और टैबलेट आदि जैसे डिवाइस मौजूद हैं।  हालांकि इस सिस्टम में ट्रैफिक बढ़ने से इसकी रीच में कमी आ रही हैं इसलिए इस काम में लगे साइंटिस्ट इसकी फ्रिक्वेंसी को 6Gzh से बढ़ाकर 24Gzh – 300Gzh तक करने की सोच रहे है जिसे हाई बैंड ओर मिलीमीटर वेव भी कहा जाता है।

5G टेक्नोलॉजी के फायदे

  • 5G आने के बाद स्पीड के अलावा आपके आसपास का पूरा सिस्टम बदल जाएगा। 5G आने पर लो लेटेंसी यानी किसी भी डिवाइस का रिस्पॉन्स सिस्टम बेहद तेज हो जाएगा। 4G में अभी यह समय 50 से 100 मिली सेकेंड है लेकिन 5G में यह एक मिली सेकेंड हो जाएगा। यह स्पीड पलक झपकने की रफ्तार से 300 गुना तेज है, यानी आप जो भी कमांड देंगे वो रियल टाइम में होगी।
  • मशीन लर्निंग या आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस तेजी से विकसित हो रहा है जिस में इंटरनेट की बहुत बड़ी सहभागिता है जब आप इंटरनेट पर कोई भी डाटा अपलोड करते हो यानी इनपुट कराते हो इसमें 5जी का बेहतर तरिके से इस्तेमाल किया जा सकगा।
  • स्वचालित कारें भी एक दूसरे से बेहतर कम्युनिकेशन कर पाएंगी और ट्रासपोर्ट और मैप्स से जुड़ा डेटा लाइव साझा कर पाएंगी।
  • 4G टेक्नोलॉजी से 5G CSX जहां 100 गुना तेज स्पीड मिलेगी जरा सोचिए कि आपने एक फुल एचडी फिल्म 3 सेकंड के अंदर डाउनलोड कर लिया। इतना ही तेज होने वाला है 5G नेटवर्क। इस फील्ड में काम कर रही कंपनी क्वॉलकॉम के अनुसार, 5G ट्रैफिक कपैसिटी और नेटवर्क एफिसिएंसी में 20 जीबी प्रति सेकेंड की स्पीड देने में सक्षम है। ऐसे में आप अंदाजा लगा सकते है कि आप के पलक झपकाते हुए काम हो जाएगा।
  • 5G आने के बाद मशीनें आपस में बात करेंगी। कमांड देने पर खुद से काम करेंगी। इसे ऐसे उदाहरण के तौर पर समझें कि आप किसी दूसरे शहर में किसी काम से गए हैं लेकिन आपको वहां पहुंचने के बाद याद आया कि आपने घर का फ्रिज और इन्वर्टर बंद नहीं किया है। तो यह 5G आपके लिए आसान बना देगा। आप अपने स्मार्टफोन से एक कमांड देंगे और सैंकड़ों किलोमीटर दूर आपके घर पर सेकेंड से भी कम समय में उसका पालन होगा।
  • कंपनिया ऐसा मानती है कि 5G नेटवर्क ऐसी स्पीड देगा, जो रियल टाइम में ऑग्मेंटेड रियलटी का अनुभव करा सकता है। इससे ऑग्मेंटेड रियलिटी पर काम करने वाले हार्डवेयर के विकास में भी मदद मिलेगी।
  • 5G टेक्नोलॉजी वर्चुअल रियलिटी, ऑटोमैटिक ड्राइविंग और इंटरनेट ऑफ थिंग्स (Virtual Reality, Automatic Driving and Internet of Things) के लिए आधार बनने जा रहा है। यह सिर्फ आपके स्मार्टफोन इस्तेमाल करने के अनुभव को बेहतर नहीं करने वाला है, बल्कि मेडिकल, इंफ्रास्ट्रक्चर और यहां तक कि मैन्युफैक्चरिंग के विकास में भी मदद करने वाला है। यानि आप के स्मार्ट फोन के कंमाड से काम को किया जा सकेगा।
  • 5G टेक्नोलॉजी से मेडिकल साइंस की दुनिया पूरी तरह बदल जाएगी। दुनिया के एक कोने में बैठकर सर्जन किसी भी मरीज पर बड़ी से बड़ी सर्जरी परफॉर्म कर सकेगा। इसके लिए रोबोटिक आर्म का इस्तेमाल होगा। डॉक्टर अपनी स्कीन पर देखकर ऑपरेशन कर देगा। वीआर तकनीक से आप अपनी कल्पना को सजीव कर पाएंगे।

5G की चुनौतियां और कमियां

  • जी हां बिल्कुल, जैसा कि कहते हैं कि कोई भी परफेक्ट नहीं होता, ऐसे ही 5G में कई खूबियां होने के साथ साथ कुछ कमियां भी हैं। आपको बता दें कि मिली मीटर वेब्स ज्यादा दूर तक नहीं जा सकतीं, साथ ही अगर बीच में कोई ऑब्जेक्ट आ जाए तो कनेक्टिविटी टूट जाती है।
  • 5G टेक्नोलॉजी को लाना काफी महंगा होने वाला है। नेटवर्क ऑपरेटर्स को मौजूदा सिस्टम हटाना पड़ेगा क्योंकि इसके लिए 3.5Ghz से अधिक फ्रीक्वेंसी की जरूरत होती है जो 3G या 4G में इस्तेमाल होने वाले से बड़ा बैंडविड्थ है।
  • सब-6 Ghz स्पेक्ट्रम की बैंडविड्थ भी लिमिटेड है, इसलिए इसकी स्पीड मिलीमीटर-वेव की तुलना में कम हो सकती है।
  • इसके अलावा, मिलीमीटर-वेव कम दूरियों में ज्यादा प्रभावी होता है और यह रुकावटों में काम नहीं कर सकता है। यह पेड़ों के द्वारा और बारिश के दौरान एब्जॉर्ब भी हो सकता है, इसका मतलब है कि 5G को ठोस तरीके से लागू करने के लिए आपको काफी ज्यादा हार्डवेयर लगाने की जरूरत होगी। जिससे कंपनिया को इसको लागु करने औऱ डिवाइस को लगाने में अधिक खर्चा करना पड़ेगा। जिससे कस्टमर के लिए और भी मंहगा होगा।

 

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