virologist kaise bane

Virologist kaise bane Full information: दोस्तों जैसा कि आप जानते हैं लगभग पूरी दुनिया कोरोना वायरस की चपेट में है। जहां एक तरफ सभी देश इस बचने के लॉकडाउन और दुसरी कोशिश कर रहे हैं तो वहीं दूसरी तरफ सभी मेडिकल एक्सपर्ट इसका इलाज ढूढ़ने में लगे हुए हैं।

Virologist kaise bane Full information:

वायरस का इलाज करे के लिए वायरस से जुडी स्टडीज करनी पड़ती है। जैसे कि वायरस कैसा है? उसकी रूपरेखा क्या है? वायरस का संक्रमण से कौन सी बीमारी होगी आदि। और जो इस स्टडीज को करते हैं उन्हें वायरोलॉजिस्ट कहा जाता है। अब इस अगर इस प्रोफेशन में करियर की बात करें तो आप खुद अंदाजा लगा सकते हैं कि इनकी भूमिका कितनी अहम है। ऐसे में कहा जा सकता है कि यह आज उभरता हुआ करियर ऑप्शन है।

What do virologists do?

साइंस की जिस शाखा के तहत वायरस की बनावट और उनके कामकाज का तरीका और वायरस के संक्रमण से होने वाली बीमारियों की स्टडी की जाती है उसे वायरॉलजी या विषाणु विज्ञान कहते हैं। जो प्रोफेशनल इसकी स्टडीज करता है उसे वायरोलॉजिस्ट कहा जाता है।

वायरोलॉजिस्ट मॉलक्युलर लेवल पर इन प्रक्रियाओं की स्टडीज करता है। कुछ वायरोलॉजिस्ट उन एंटीवायरल कंपाउड की बनावट और कार्यशैली की स्टडी करते हैं जिनको हाल ही में खोजा गया होता है। वायरोलॉजिस्ट मुख्य रूप से लैब में काम करते हैं।

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अगर देखा जाए तो एक वायरोलॉजिस्ट का करियर काफी चुनौतीपूर्ण होता है। साथ ही इनकी भूमिका काफी अहम होती है। एक प्रोफेशनल को इस फील्ड में काफी डीप नॉलेज होनी चाहिए। वायरोलॉजिस्ट मुख्य रूप से लैब में काम करते हैं। वायरोलॉजिस्ट बनने के लिए बायॉलजी का बैकग्राउंड होना जरूरी है। कैंडिडेट के पास हाई स्कूल लेवल तक बायॉलजी जरूर होना चाहिए।

आज के दौर कई ऐसे वायरस ने जन्म ले लिया जो काफी खतरनाक हैं। आज के समय ज्यादातर खतरनाक बीमारियों का कारण वायरस ही होता है।

यह आज की ही बात नहीं है इससे पहले भी कई ऐसे वायरस आ चुके हैं जिन्होंने दुनिया में खूब तबाही मचाई है। इसलिए वायरस की फील्ड में करियर की काफी संभावनाएं हैं। यह उभरता हुआ करियर है और इस फील्ड में प्रतियोगिता काफी कम है।

eligibility and criteria for virologist course

इस फील्ड में करियर बनाने के लिए कैंडिडेट लाइफ साइंस या बायोकेमिस्ट्री बैकग्राउंड से जुड़ा होना चाहिए। साथ ही उसे लाइफ साइंस या बायोकेमिस्ट्री में बैकग्राउंड काफी मजबूत होना चाहिए। मास्टर लेवल के प्रोग्राम में कोर्सवर्क, लैब स्टडी और रिसर्च शामिल होते हैं। यह प्रोग्राम 12 महीने या उससे ज्यादा का हो सकता है। इसके अलावा रिसर्च स्पेशलिस्ट बनने के लिए पीएचडी करनी होती है। वायरोलॉजी का ज्यादातर प्रोग्राम मॉलक्युलर बायॉलजी या मेडिकल ग्रैजुएट प्रोग्राम का हिस्सा होता है।

Institute and university

भारत में कई यूनिवर्सिटी वायरॉलजी में एमएससी ऑफर करती है।
-जैसे सावित्रीबाई फुले पुणे यूनिवर्सिटी (नैशनल इंस्टिट्यूट ऑफ वायरॉलजी, पुणे के सहयोग से)- महाराष्ट्र,
-मणिपाल यूनिवर्सिटी- कर्नाटक,
-अमिटी यूनिवर्सिटी- उत्तर प्रदेश,
-श्री वेंकटेश्वर यूनिवर्सिटी- आंध्र प्रदेश आदि।

दुनिया की कई टॉप यूनिवर्सिटी ग्रैजुएट लेवल पर भी वायरॉलजी का कोर्स ऑफर करती हैं।

-उनमें हारवर्ड यूनिवर्सिटी- अमेरिका
-यूनिवर्सिटी ऑफ पेनिसिल्वानिया- यूएसए
-यूनिवर्सिटी ऑफ ग्लासगो- के
-इंपीरियल कॉलेज लंदन- यूके
-यूनिवर्सिटी ऑफ कैंब्रिज- यूके
-यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो- कनाडा
-यूनिवर्सिटी ऑफ मेलबर्न- ऑस्ट्रेलिया आदि।
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जॉब्स कहां मिलती हैं?

वायरोलॉजिस्ट की काफी जॉब होती हैं। पब्लिक और प्राइवेट सेक्टर दोनों में। जैसे अस्पतालों, डायग्नोस्टिक सेंटरों, फार्मास्यूटिकल कंपनियों, अनुसंधान संगठनों, सरकारी एजेंसियों, खाद्य उद्योगों, कृषि आदि में वायरोलॉजिस्ट के लिए काफी अवसर होते हैं।

सैलरी:

वायरॉलजी की फील्ड में सैलरी पैकेज काफी अच्छा ऑफर किया जाता है। 10 लाख से लेकर 40-50 लाख रुपये तक सालाना पैकेज भी ऑफर किया जाता है।