क्या है Plasma therapy:- देश में कोरोना वायरस (Corona virus) कहर जारी है। लोग अपने लाइफ को लेकर स्ट्रगर्ल कर रहे है। कोरोना वायरस के प्लाज्मा थेरेपी क्या है, कैसे डोनेट किया जा सकता है इसके बारे में और क्या ये COVID-19 से पॉजिटिव पेशेंट के कारगर इलाज है। इस लेख में विस्तार के जानगें कि कोविड-19 पॉजिटिव पेशेंट के इलाज के लिए Plasma therapy क्या है।
देश में कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर ने चारों ओर हाहा कार मचा दिया है। कोविड-19 संक्रमण के मामले हर दिन पुराना रिकॉर्ड तोड़ रहे हैं। जब से कोरोना वायरस का प्रकोप देश में फैला तब से इसके टेस्टिग किट से दवाई बनाई गई है हालाकि कोरोना वायरस के लड़ने के लिए एक थेरेपी नाम सामने आया जिसका नाम है प्लाज्मा थेरेपी, लेकिन क्या आप प्लाज्मा थेरेपी के बारे में जानते हैं? आइए आगे इस लेख में जानते हैं कि क्या है प्लाज्मा थेरेपी, कैसे काम करती है, कौन प्लाज्मा डोनेट कर सकता है और कोविड-19 से उबरने में ये कितनी कारगर है?
What is Plasma / Plasma kya hai?
सबसे पहला जानतें है कि क्या होता है प्लाज्मा? विशेषज्ञों के अनुसार, हमारे रक्त में रेड बल्ड सेल्स, व्हाइट बल्ड सेल्स और येलो लिक्विड भाग मौजूद होता है। ब्लड में मौजूद पीले तरल भाग को ही प्लाज्मा कहते हैं। इसका 92 फीसदी भाग पानी होता है। प्लाज्मा में पानी के अलावा प्रोटीन, ग्लूकोस मिनरल, हार्मोंस, कार्बन डाइऑक्साइड मौजूद होते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार हमारे बल्ड में तकरीबन 55 प्रतिशत प्लाज्मा मौजूद होता है। प्लाज्मा का इंजेक्शन उस रोगी को लगाया गया है जो उस बीमारी से पीड़ित है। प्लाज्मा में एंटीबॉडी होते हैं जो रोगी को रोगाणु से लड़ने और बीमारी से उबरने में मदद कर सकते हैं।
What is Plasma therapy/ Plasma therapy kya hai?
‘कायलसेंट प्लाज्मा थेरेपी’ को आम भाषा में प्लाज्मा थेरेपी भी कहा जाता है। इस थेरेपी की मदद से कोविड-19 से संक्रमित मरीजों का इलाज किया जाता है। इसमें स्वस्थ्य व्यक्ति के शरीर से प्लाज्मा निकालकर संक्रमित व्यक्ति के शरीर में इंजेक्शन की मदद से इंजेक्ट किया जाता है। प्लाज्मा में बीमारी से लड़ने के लिए एंटीबॉडीज़ मौजूद होती हैं, जो रोगी को बीमारी से उबरने में मदद करती हैं।
आप ने मन में सलाव उठा होगा कि कैसे काम करती है प्लाज्मा थेरेपी? जब एक कोविड-19 से ठीक हुए व्यक्ति का प्लाजमा संक्रमित व्यक्ति के शरीर में जाता है, तो प्लाज्मा में मौजूद एंटीबॉडीज़ ठीक उसी तरह बीमारी से लड़ती हैं जैसे पहले लड़ी होती हैं। इससे संक्रमित व्यक्ति को बीमारी से उबरने में मदद मिलती है।
पहली बार कब इस्तेमाल हुई ये थेरेपी 1890 में एक जर्मन फिजियोलॉजिस्ट एमिल वॉन बेह्रिंग ने पाया कि जब उन्होंने डिप्थीरिया से संक्रमित खरगोश से सीरम लिया तो यह डिप्थीरिया के कारण होने वाले संक्रमण को रोकने में प्रभावी था। और इसके बाद में कई प्रकार के प्रकोपों के दौरान एक ही प्रकार के उपचारों का उपयोग किया गया है। जिसमें स्पैनिश फ्लू महामारी 1918, डिप्थीरिया का प्रकोप 1920 इत्यादि शामिल हैं। उस समय कंवलसेंट प्लाज्मा थेरेपी या प्लाज्मा थेरेपी कम प्रभावी थी और इसके पर्याप्त दुष्प्रभाव भी थे।
क्या हर कोई प्लाज्मा डोनेट कर सकता है इसका जबाब है नहीं कोविड-19 महामारी के दौर में आप प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। इसके लिए कुछ मापदंड है जिसके अनुसार प्लाज्मा डोनेट किया जा सकता है 1- कोविड-19 से संक्रमण से ठीक होने के तकरीबन दो हफ्ते बाद।
2- 18 से 60 वर्ष की आयु के बीच के व्यक्ति 50 कि.ग्रा. वजन होने के साथ-साथ किसी भी संक्रमण या अन्य बीमारियों से पीड़ित न हो।
4- हीमोग्लोबिन काउंट 8 से ऊपर हो।.इसके अलावा आप को ता दें कि पूर्व में प्रेगनेन्ट महिलाएं, कैंसर, हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर, हार्ट और किडनी से जुड़ी बीमारी वाले लोग प्लाज्मा दान नहीं कर सकते हैं।
सबसे मह्वपूर्ण बात यह कि प्लाज्मा दान करने के नियमों में बदलाव किया गया है जोकि इस प्रकार है प्लाज्मा की बढ़ती मांग के चलते प्लाज्मा डोनेट करने के नियमों में बदलाव किया गया है। पहले जो व्यक्ति बीते तीन महीनों में कोविड-19 से रिकवर हुआ होता था, वो प्लाज्मा डोनेट कर सकता था। लेकिन मौजूदा नियमों के मुताबिक, बीते 6 महीनों में कोविड-19 से रिकवर हुआ व्यक्ति भी अपना प्लाज्मा डोनेट कर सकता है।
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अब आप को प्लाज्मा थेरेपी के बारे में जो खबरों में जानकारी दी गई इसके बारे में जरुर जानना चाहिए यानि कि प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 को ठीक करने में कितनी कारगर है? देशत में बढ़ते कोविड-19 के मामलों की वजह से प्लाज्मा थेरेपी की मांग लगातार बढ़ रही है। लेकिन इसके पीछे विशेषज्ञों का मानना है कि प्लाज्मा थेरेपी कोविड-19 के इलाज में ज़्यादा प्रभावी नहीं है। और मृत्यु दर को कम करने में असमर्थ है। आप को बता दें कि ICMR ने भी पिछले साल जारी की गई अपनी रिपोर्ट में कहा था कि प्लाज्मा थेरेपी COVID-19 से जुड़ी मौतों को कम करने में मदद नहीं करती और मृत्यु दर में कमी या गंभीर कोरोनोवायरस में प्रगति से जुड़ी नहीं है।
हालाकि कुछ अन्य विशेषज्ञों का मानना है कि प्लाज्मा थेरेपी को कोविड-19 के इलाज के लिए प्राथमिक चिकित्सा के रूप में इस्तेमाल नहीं किया जाना चाहिए और केवल स्टैंडर्ड प्रोटोकॉल दवाओं के साथ ही किया जाना चाहिए। ऐसे व्यक्ति जो पहले से ही वेंटिलेटर पर हैं या मल्टीआर्गन फेल हैं। उन्हें प्लाज्मा थेरेपी से कोविड-19 में कोई फायदा नहीं होगा।
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