Indian Railways complete world highest chenab bridge in Jammu and Kashmir -भारतीय रेलवे ने बड़ा कारनामा करके दिखया है भारत में दुनिया के सबसे ऊचें ब्रिज का काम पुरा हो गया है। भारतीय रेलवे ने इसमें बेहद कमाल की इन्जीरिगज का मिशाल पेश की है। भारतीय रेलवे ने कटरा से बनिहाल सेक्शन पर बन रहे चिनाब ब्रिज का काम पूरा कर लिया है। ये ब्रिज दुनिया का सबसे ऊंचा ARCH ब्रिज है। ये ब्रिज ऊधमपुर – श्रीनगर -बारामूला रेल लिंक परियोजना का एक हिस्सा है। चिनाब ब्रिज जिसे डीआरडीओ समेत देश के 15 बड़े संस्थान इसमें हेल्प कर रहे है। दो
आप को बता दें कि पूरा बन जाने के बाद यह दुनिया का सबसे ऊंचा रेलवे पुल होगा। लाजमी में इसे अभी से इंजीनियरिंग का अद्भूत नमूना माना जा रहा है। आप को बता दें कि इस पुल की परिकल्पना पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी के कार्यकाल में 2002 में की गई थी। उन्होंने 2004 में इस प्रोजेक्ट की नींव रखी थी। लेकिन इसके चार साल बाद ही सितंबर 2008 में इसे असुरक्षित करार देते हुए इसका निर्माण कार्य रोक दिया गया था।
बाद में कांग्रेस के दूसरे कार्यकाल में यानी 2010 में पुल का काम फिर से शुरू कर दिया गया। तब इसे 2015 में पूरा करने का लक्ष्य रखा गया। लेकिन इस बीच तमाम अड़चने आती रहीं और पुल का काम डिले होता रहा।
फिर 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार आने के बाद इस प्रोजेक्ट में प्रगति देखी गई । इस बार इसका निर्माण कार्य 2019 में पूरा होने का लक्ष्य रखा गया। लेकिन डेडलाइन एक बार फिर बढ़ गई। बताया जाता है कि दिसंबर 2022 तक यह पुल पूरी तरह तैयार हो जाएगा। आप को बता दें की दुनिया के सबसे ऊचें ब्रिज ऐसी चिनाब ब्रिज बनाने में मेहराब तकनीक (हैंगिंग आर्च) का इस्तेमाल हो रहा है। जोकि इस और भी खास बनाता है इसको बनाने के लिए चेलेंज भी कम नहीं आए है।
जम्मू-कश्मीर में एक जिला है रियासी। यहां दो गांव हैं. बक्कल और कौड़ी. इन्हीं दो गावों के बीच से बहती है चिनाब, जिसके ऊपर दुनिया का यह सबसे ऊंचा रेलवे पुल बनाया जा रहा है ।
जानिए क्यों खास है जम्मू-कश्मीर में चिनाव ब्रिज
- ब्रिज कोई 1.3 किमी लंबा है। इसमें कोई खास बात नहीं है। वह है इसकी ऊंचाई में यह पुल नदी तल से 359 मीटर की ऊंचाई पर बन रहा है।
- फ्रांस के एफिट टावर से भी 35 मीटर ऊंचा है यह पुल. खास बात यह है कि यह पुल ऑनलाइन मॉनिटरिंग एंड वार्निंग सिस्टम से लैस होगा. ब्रिज के कन्स्ट्रक्शन में ब्लास्ट प्रूफ स्टील का प्रयोग हुआ है।
- यह ढांचा इतना ताकतवर है कि 40 किलोग्राम का विस्फोटक भी कुछ नहीं कर पाएगा। इसके पिलर्स साधारण नहीं हैं। इस तरह के स्ट्रक्चर के लिए बहुत मजबूत आधार की जरूरत होती है।
- इसलिए पुल के पिलर का बेस 36.5 मीटर लंबा और 50 मीटर चौड़ा है. पुल को भूकंप से जुड़े साइज्मिक जोन-5 के हिसाब से तैयार किया जा रहा है। आप ऐसे समझें कि यह पुल रिक्टर स्केल पर 8 की तीव्रता वाला भूकंप भी झेल सकता है।
- ब्रिज को बनाने के लिए खास तरह के दो केबल कार बनाए गए हैं, जिनकी क्षमता 20 और 37 मीट्रिक टन है। रेल अधिकारियों का कहना है कि 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से भी हवा चली तो यह पुल आसानी से टिका रहेगा।
- 266 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली हवाएं भी पुल का कुछ नहीं बिगाड़ पाएंगी। हवा की रफ्तार 90 किमी प्रति घंटे से ज्यादा होते ही पुल में लगे सिग्नल रेड हो जाएंगे। इससे ट्रेनें पहले ही रुक जाएंगी।
- आपात स्थिति में प्रयोग में लाई जाने वाली 60.5 किलोमीटर लंबी एसकेप टनल बनाई जा रही है, जिसमें 53.50 किलोमीटर टनल का निर्माण पूरा हो गया है पुल को सपोर्ट देने के लिए लगभग 96 केबलों का प्रयोग किया जा रहा है।
- ब्रिज में दो ट्रैक होंगे। एक की चौड़ाई 14 मीटर होगी। पुल के निरीक्षण के लिए 1.2 मीटर चौड़ा एक रास्ता भी होगा। पुल से ट्रेन गुजर रही हो तो भी मेंटेनेंस का काम किया जा सकता है।
- रोपवे लिफ्ट की सुविधा होगी। उसमें सेंसर लगाए जाएंगे। खराबी आने पर तुरंत पता चल जाएगा।
- 111 किमी लंबे कटरा और बनिहाल मार्ग पर रेल ब्रिज बनने से कश्मीर रेलमार्ग के जरिए देश से जुड़ जाएगा।अभी बनिहाल और बारामूला के बीच रेल है, पर कटरा-बनिहाल के बीच नहीं है।
- पुल की लाइफलाइन लगभग 120 साल होगी। 100 किलोमीटर की स्पीड से ट्रेनें इस पर चल सकती हैं।
- पुल के निर्माण पर करीब 1200 करोड़ रुपये खर्च आ रहा है। इस प्रोजेक्ट में डीआरडीओ समेत देश के 15 बड़े संस्थान कोंकण रेलवे की मदद कर रहे हैं।
माना जा रहा है कि आजादी के बाद भारतीय रेलवे के इतिहास में यह पुल मील का पत्थर साबित होगा, जो विज्ञान और तकनीक का बेहतरीन नमूना पेश करेगा। इस प्रोजेक्ट में कुल 38 टनल हैं, जिसमें सबसे लंबी टनल की लंबाई 12.75 किलोमीटर है। आप को बता दें कि दिसंबर 2021 चिनाब पुल परियोजना को पूरी करने की अंतिम समय सीमा है।