Medical coding me career:  हेल्थ केयर सेक्टर लगातार तरक्की कर रही है। जिसमें ऐसे करियर ऑप्सन उभर के समाने आ रहे है। अगर आप की medical coding में रुचि है तो यह करियर अच्छा साबित हो सकता है। मेडिकल कोडिंग प्रोफेशनल इलाज के दौरान विभिन्न प्रकार के हेल्थ से जुड़ी जानकारी को कोडिंग के रुप में लिखता है। लाइफ साइंस के छात्रों के लिए मेडिकल कोडिंग एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।  इस लेख में आप को मेडिकल कोडिंग में करियर कैसे बनाए (career in medical coding) इस पर महत्वपूर्ण जानकारी दे रहे है।

Medical coding me career

career in medical coding के तहत आप को what medical coding, What is medical coder, How to make career in medical coding, Medical coding course eligibility, Certificate course, List of Institutions Offering Medical Coding Course Details, ,Fee structure,Work Profile, career scope, Skills, Salary in medical coding के बारे में जानकारी दे रहे है उम्मीद करते है की ये पोस्ट आप को जरुर पंसद आने वाली है।

हर साल, विज्ञान स्ट्रींम के छात्रों का एक बड़ा ग्रुप डॉक्टर / नर्स / मेडिकल में जाने केलिए चाहत रखता है । medical coding me career हालाकि कुछ स्टुडेट को नए करियर में जाने के लिए उत्सुक होते है। क्या आप ऐसे करियर के बारे में जानना चाहते है। मेडिकल कोडिंग ऐसे छात्रों के लिए एक तेजी से बढ़ता करियर विकल्प है, जो उन लोगों के लिए बहुत बड़ी गुंजाइश रखते हैं जो हेल्थकेयर आईटी उद्योग का हिस्सा बनना चाहते हैं।

what medical coding

मेडिकल कॉडर वैश्विक हेल्थ सेक्टर में तेजी से उभरते हुए करियर ऑप्सन में से एक है।  मेडिकल कोडिंग (medical coding me career)एक तरह असान शब्दों में समझे तो एक ट्रांसलेशन है। इसमें कोडर्स डॉक्टरों से मेडिकल रिपोर्ट लेते हैं जिसमें पेशेन्ट की स्थिति की जानकारी और रोग का निवारण कैसे हो और डॉक्टर के सावधानियों के साथ-साथ रोगी पर किए गए उपचार की पूरी जानकारी रहती है। मेडिकल कोडिंग वैश्विक मेडिकल क्षेत्र में माना जाने वाला वाला एक अल्फा न्यूमेरिक कोड (Alfa numeric code) होता है। रोगी की सभी जानकारी इसी अल्फान्यूमैरिक कोड में ट्रांसलेट की जाती है।

What is medical coder

अब आप के मन में सवाल होगा कि क्यों जरुरी है मेडिकल कोडिंग। मेडिकल कोडिंग (medical coding me career) की आवश्यकता हमें प्रमुख 2 कामों के लिए पड़ती है। जिसमें सबसे पहला है यह जरूरी है की रोगी के डायग्नोसिस टेस्ट रिजल्ट और ट्रीटमेंट डॉक्यूमेंटेड हो। इससे भविष्य में बेहतर इलाज करने में आसानी होती है। पेशेंट के बीमारी से संबंधित सभी जानकारी को कोड में इसलिए भी किया जाता है कि कम समय में समझने में आसानी हो और कम से कम डाटा स्टोर किया जाए। दूसरा -मेडिकल कोडिंग की आवश्यकता हेल्थ इंश्योरेंस कंपनी (health insurance company) को भी पड़ती है। यह कंपनियां मेडिकल क्लेम (Medical claim) के समय अपने रोगी की परी जानकारी कोड में लेती है। जिससे इन कामों में इस जानकारी को देने में आसानी होती है।

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 How to make career in medical coding

मेडिकल कोडिंग प्रोफेशनल इलाज के दौरान विभिन्न प्रकार के हेल्थ से जुड़ी जानकारी को कोडिंग के रुप में लिखता है। लाइफ साइंस के छात्रों के लिए मेडिकल कोडिंग एक अच्छा विकल्प साबित हो सकता है।  दरअसल मेडिकल कोडिंग का मतलब है मरीज की रिपोर्ट, इलाज पता लगाने की प्रक्रिया, चिकित्सा सेवाओं और उपकरणों को एक खास तरह के कोड में लिखना। मेडिकल बिलिंग के लिए यह काफी अहम होता है।

Medical coding course eligibility

वैसे तो मेडिकल कोडिंग में करियर बनाने के लिए कोई भी डिग्री चलेगी लेकिन लाइफ साइंस में जिनलोगों के पास डिग्री है, उनको प्राथमिकता दी जाती है। जिसमें कोर्स करने के लिए स्टुडेंट कै बैकग्राउंड साइंस का हो या स्नातक मेडिकल फील्ड से क्या हो जैसे बायोमेडिकल साइंसेज बायोकेमिस्ट्री मेडिकल लैब टेक्नीशियन फिजियोथैरेपी जूलॉजी ऑनर्स बॉटनी ऑनर्स होना चाहिए। इसका सबसे बड़  फायदा इन लोगों को कोर्स समझने में आसानी होती है। क्योंकि साइंस बैकग्राउंड के छात्र मेडिकल टर्मिनोलॉजी से संबंधित जानकारी पहले से होती है। आप को बता दें कि मेडिकल कोडिंग कोर्स  के लिए कोई स्पेसिफिक एलिजिबिलिटी नहीं है। अगर कोई भी स्नातक डिग्री कोर्स कर चुकें है तो इसमें कोर्स कर सकता है।

Certificate course

medical coding के लिए सर्टिफिकेट प्रोग्राम से नौकरी मिलने की संभावना बढ़ जाती है। केंडिडेट को चाहिए की किसी मान्यता प्राप्त संस्थान से मेडिकल कोडिंग में सर्टिफिकेट प्राप्त करें । जिससे की इन ज्यादातर कैंडिडेट को प्राथमिकता दी जाती है क्योंकि वे सही कोड की पहचान करने और उसको लागू करने में ज्यादा सक्षम होते हैं। कई संस्थान हैं जो मेडिकल कोडिंग में ट्रेनिंग और सर्टिफिकेट मुहैया कराते हैं।  मेडिकल कोडिंग ट्रेनिंग के लिए सबसे अच्छी बात यह है कि भारत में ऑनलाइन और ऑफलाइन दोनों उपलब्ध है। ऑनलाइन मेडिकल कोडिंग ट्रेनिंग इंटरनेट के माध्यम से घर बैठे कर सकते हैं इसकी प्रमुख वेबसाइट निम्न है।

List of Institutions Offering Medical Coding Course Details

udemy

aapc

igmpiindia

apollomedskills

National institute of medical coding (NIMC) 

Fee structure

आमतौर पर इसकी फीस 20 हजार रुपये से लेकर 30 हजार रुपये तक होती है। जोकि फीस एक बार में ही देनी होती है। हांलाकि अलग-अलग संस्थानों की फीस अलग-अलग होती है। एडमिशन लेने से पहले आपको पता कर लेना चाहिए। जिस संस्थान में कम फीस हो और प्रतिभाशाली छात्रों के लिए स्पेशल स्कॉलरशिप प्रोग्राम की व्यवस्था हो, वहां दाखिला लेना चाहिए।

Work Profile

काम करने की स्थिति में मेडिकल कोडर हर प्रकार की स्वास्थ्य देखभाल सुविधा में काम करते हैं, जिसमें डॉक्टर के कार्यालय, सर्जरी केंद्र, अस्पताल और स्वास्थ्य देखभाल प्रणाली शामिल हैं। कुछ अनुभवी कोडर में एक नियोक्ता या एक अनुबंध के रूप में घर पर काम करने की क्षमता होती है। कोडिंग के लिए असाधारण विस्तार की आवश्यकता होती है।  यदि किसी सेवा की अनदेखी की जाती है, तो प्रदाता को इसके लिए भुगतान नहीं मिलेगा। यदि कोडर गलत कोड चुनता है, तो प्रदाता को किसी भी अतिरिक्त भुगतान को वापस करना पड़ सकता है या ओवरबिलिंग के लिए कानूनी आरोपों का सामना करना पड़ सकता है। कोड अक्सर बदलते रहते हैं, इसलिए कोडिंग पेशेवरों को नए नियमों और अपडेट रहना चाहिए।

career scope

स्वास्थ्य सेवा उद्योग गतिशील परिवर्तन से गुजर रहा है, इस क्षेत्र में अधिक नौकरियों के लिए मार्ग प्रशस्त कर रहा है। स्वास्थ्य देखभाल प्रदाताओं पर गुणवत्ता की देखभाल और सर्वोत्तम रोगी अनुभव प्रदान करने के लिए एक बढ़ते दबाव है, जबकि लागत और अन्य संसाधनों का अनुकूलन भी है। यह राजस्व चक्र प्रबंधन (आरसीएम) के साथ नियमित कार्यों को आउटसोर्स करने के लिए विकास को चला रहा है जो सबसे अधिक आउटसोर्स प्रक्रियाओं में से एक है। स्वास्थ्य सेवा उद्योग में उन्नत तकनीकों को अपनाने से भी इस वृद्धि को बढ़ावा मिल रहा है। मेडिकल कोडिंग आरसीएम प्रक्रिया के प्रमुख चरणों में से एक होने के साथ, मेडिकल कोडर्स इस सेवा के प्रमुख सुविधाभोगियों में से एक हैं और उनके आला कौशल की मांग केवल बढ़ती देखी जा सकती है।

हेल्थकेयर आउटसोर्सिंग इंडस्ट्री का बिजनेस तेजी से बढ़ रहा है। इसके साथ ही मेडिकल कोडिंग के पेशेवरों की मांग भी बढ़ रही है। एक रिपोर्ट के मुताबिक, हेल्थकेयर आउटसोर्सिंग के मामले में अमेरिका के बाद भारत ही दूसरे सबसे बड़े स्थान के तौर पर उभरा है। इससे आउटसोर्सिंग सेक्टर को मेडिकल कोडिंग और बिलिंग में एक्सपर्ट लोगों को हायर करने की मांग बढ़ रही है। ऐसे में नए कैडिडेट के लिए यह करियर ऑप्सन अच्छा साबित हो सकता है।

भारत अब हेल्थकेयर आउटसोर्सिंग सेवाओं जैसे मेडिकल कोडिंग, मेडिकल बिलिंग, मेडिकल ट्रांसक्रिप्शन और अन्य देशों के लिए दावे के लिए हब बन गया है। बैक एंड काम की एक बड़ी राशि भारत को आउटसोर्स की जाती है, जो बदले में स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और अन्य देशों के बीमा प्रदाताओं की दक्षता में सुधार करती है।

Skills

मेडिकल कोडर्स को तकनीकी कौशल में कुशल होना चाहिए, जहां वे माइक्रोसॉफ्ट एक्सेल से मास्टर रोगी सूचकांक (एमपीआई) के लिए नए सॉफ़्टवेयर को जल्दी से सीख सकते हैं। कंप्यूटर-प्रेमी कोडर इलेक्ट्रॉनिक हेल्थ रिकॉर्ड (ईएचआर) सुनिश्चित करने के लिए सबसे सटीक रोगी डेटा का उत्पादन करते हैं।

एक मजबूत विश्लेषणात्मक कौशल अत्यधिक आवश्यक है, क्योंकि मेडिकल कोडिंग नियम जटिल हैं और कई बार गुप्त हो सकते हैं। कोडर को रोगी के रिकॉर्ड में विवरण को समझने और उपयुक्त कोड लागू करने में सक्षम होना चाहिए।

Salary in medical coding

एक मेडिकल कोडर की सैलरी स्टार्टिगं लेवल पर 18,000 से 20,000 से हो सकती है। सैलरी कई फैक्टर में निर्भर करती है जैसे, अलग-अलग स्थानों पर अलग अलग हो सकता है।  विदेशों में इनकी सैलरी अधिक होती है और भारत में वहां के मुकाबले कम होती है। जैसे जैसे आप को अनुभव होता है आप के सैलरी में भी इजाफा होता जाता है। एक साल के अनुभव होने के बाद में सैलरी 40,000 हजार रुपए तक हो सकती है।

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