Aeronautical Engineer kaise bane

Aeronautical Engineer kaise bane: इंजीनियरिंग की पॉपूलर ब्रांच में से एक एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स है। एरोनॉटिक्स ग्रीक शब्द ‘एयर’ और ‘नॉटिक’ से बना है जिसका अर्थ होता है, ‘वायु’ और ‘वायु का नेविगेशन’ है। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग और साइन्स के स्टडी की स्पेशल ब्रांन्च है जो विभिन्न  प्लेन्स और उनके कंपोनेट के डिजाइन, निर्माण, रखरखाव से संबंधित है। ऐसे स्टूडेंट जिन्हें एरोप्लेन और उसके सिस्टम की ओर झुकाव तो ऐसे स्टुडेंट एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग  का स्टडी करने का विकल्प चुन सकते हैं।

आज के इस लेख में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में करियर कैसे बनाएं इस करियर ऑप्सन पर हम बात करेगे एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में करियर कैसे इसके बारे में जाननें के लिए इस लेख को पूरा पढ़ें।

सबसे पहले आप को बतातें इस लेख में  Aeronautical Engineer kaise bane इस करियर ऑप्सन के तहत Aeronautical Engineer kaise bane: Career as Aeronautical Engineer?, What is Aeronautical Engineering ?, एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और एयरोस्पेस  इंजीनियरिंग में अंतर,  How to become Aeronautical Engineer?, Eligibility Criteria,  Aeronautical Engineering Courses, Certifications for Aeronautical Engineering,  Best Aeronautical Engineering Colleges in India, Job Profile, Top Recruiters, Aeronautical Engineering में Career Scope, Salary in Aeronautical Engineeringआदि के बारे में हम जानने वालें है।

Aeronautical Engineer kaise bane: Career as Aeronautical Engineer?

एक एरोनॉटिकल इंजीनियर औसतन 5-6 लाख रुपये का सालाना सैलरी मिल सकती है।, हालांकि योग्यता और अनुभव में वृद्धि के साथ सैलरी में बढ़ौत्तरी होती है। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स में एयरोस्पेस कटेंट और विनिर्माण प्रौद्योगिकी (Manufacturing Technology), विमान संरचनाएं (Aircraft Structures), थर्मोडायनामिक्स (Thermodynamics), द्रव गतिकी और यांत्रिकी (Fluid Dynamics and Mechanics), उड़ान यांत्रिकी और वायुगतिकी (Flight Mechanics and Aerodynamics), विमान डिजाइन (Aircraft Design,), एवियोनिक्स नेविगेशन (Avionics Navigation) जैसे विषय शामिल हैं।

एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की फील्ड में करियर काफी संवभावनाएं है। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग  इंजीनियरिंग  का फील्ड तेजी से आगे बढ़ रहा है। सरकारी से लेकर प्राइवेट कंपनिया खास इस फील्ड में नए रिसर्च और डेवेपमेंट कर रही है। तो चलिए आज के इस लेख में जानतें है एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में करियर कैसे बनाएं।

What is Aeronautical Engineering/एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग क्या है?

एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (Aeronautical Engineering) इंजीनियरिंग (Engineering) में ऐसी फील्ड है जिसमें एयरक्राफ्ट को ऑपरेट करने की टेक्निक्स या स्टडी के अलावा डिज़ाइन और विकास से जुड़े सभी काम इसमें शामिल होते हैं। यह कोर्स यंग प्रोफेशनल्स को कमर्शियल या मिलिट्री एयरक्राफ्ट्स, मिसाइल्स और स्पेसक्राफ्ट्स के कंस्ट्रक्शन, डिजाइनिंग, टेस्टिंग और एनालिसिस में ट्रेनिगं देता है। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग (Aeronautical Engineering) में प्रोपल्शन, मेटीरियल्स साइंस, एवियोनिक्स और एरोडायनामिक्स को भी जोड़ा गया है। इसके अलावा इसमें एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में कमर्शियल एविएशन, डिफेंस सिस्टम्स और स्पेस एक्सप्लोरेशन में नई टेक्नोलॉजी के बारें में रिसर्च भी शामिल होती है।

एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग और एयरोस्पेस  इंजीनियरिंग में अंतर

एयरोस्पेस इंजीनियरिंग और एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग दोनों ही अलग अलग फील्ड है लेकिन इन दोनों ही फील्ड्स का काम लगभग मिलता जुलता है। एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग उन वायुयानों के डिजाइन और विकास के लिए सीमित है जो पृथ्वी के वायुमंडल के भीतर उड़ान भरते हैं, जबकि एयरोस्पेस इंजीनियरिंग उड़ान भरने वाले सभी हवाई जहाजों के साथ-साथ बाहर के पृथ्वी के वातावरण का अध्ययन है। इस प्रकार इसमें मिसाइलों, रॉकेटों, उपग्रहों, अंतरिक्षयानों, अंतरिक्ष केंद्रों आदि का अध्ययन शामिल है। यह स्पष्ट है कि एयरोस्पेस इंजीनियरिंग में व्यापक स्पेक्ट्रम है और इसमें एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग की तुलना में बहुत अधिक है।

 How to become Aeronautical Engineer?

हमे उम्मीद है यहां तक आप इस लेख को पढ़ चुकें होगें। आप ने मन में सवाल उठा होगा कि एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में कैसे बनाएं, कौन सा कोर्स करना पड़ेगा, एट्रेंस एक्जाम आदि के बारे तो चलिए इसके बारे में जानतें है।  

ऐसे कैडिडेंट जो एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स में अपनी यूजी, पीजी,या डिप्लोमा डिग्री हासिल करना चाहते हैं, उन्हें इसके लिए पात्रता मानदंडों को पूरा करना आवश्यक है। इन पात्रता शर्तों को पूरा करने वाले कैडिडेंट ही उपरोक्त कोर्स में प्रवेश लेने के पात्र होंगे।

Eligibility Criteria

सबसे पहले कैडिडेंट को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड / विश्वविद्यालय से अपने 10 + 2 या समकक्ष में भौतिकी, रसायन विज्ञान और गणित में न्यूनतम कुल 70-75 प्रतिशत प्राप्त करना चाहिए।

देश के कई कॉलेज और यूनिवर्सिटी में एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से संबधित कोर्स संचालित किए जातें है। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से संबधित कोर्स में एडिमिशन पाने के लिए कैडिडेंट जेईई मेन्स और जेईई एडवांस में अच्छी रेंक होनी चाहिए।

जिन कैडिंडेट के पास एयरक्राफ्ट मेंटेनेंस इंजीनियरिंग में डिप्लोमा है, उनके पास एयरोनॉटिकल सोसाइटी ऑफ इंडिया द्वारा आयोजित परीक्षा को क्वालिफाई करके एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कोर्स में डिग्री हासिल करने का प्रावधान है।

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में यूजी करने के बाद में पीजी और डॉक्टरेट कर सकते है। आईआईटी, आईआईएससी और अन्य साइन्स रिसर्च जैसे इंस्टीट्यूट में एडिमिशन पाने के लिए गेट एक्जाम में अच्छा स्कोर होना चाहिए।

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 Aeronautical Engineering Courses

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में Undergraduate और Diploma level के सभी कोर्स इसमें करियर बनाने वाले युवाओं की पसंद होते हैं। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के तमाम कोर्स की लिस्ट नीचे दी गई है।

  • Bachelor’s in Aeronautical Engineering
  • BEng Aerospace Engineering
  • BSc Aeronautics
  • BTech in Avionics
  • BE/BTech in Aeronautical Engineering
  • BE in Aircraft Engineering
  • Diploma in Aeronautical Engineering
  • MEng in Aeronautical Management
  • Master’s in Aerospace Engineering
  • Master’s in Aeronautical and Aerospace Engineering
  • MTech in Space Engineering and Rocketry
  • PhD in Aeronautical and Automobile Engineering

 Certifications for Aeronautical Engineering

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में कई सर्टिफिकेट होते है। जिसे करने के बाद में कैडिडेंट के अच्छी जानकारी मिल जाती है। सर्टिफिकेट कैडिडेंट के आगे बढ़ने में हेल्पफुल हो सकता है।

  • Certificate in Aeroelasticity
  • Certificate in FEA and ANSYS
  • Certificate in Gas Turbine Engineering
  • Computational Fluid Dynamics & Training Certificate
  • Professional Simulation Engineer
  • Certificate Linear & Non linear Modeling

 Best Aeronautical Engineering Colleges in India

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में करियर की काफी डिमांड है। यह उन लोगों के लिए सबसे पसंदीदा विकल्पों में से एक है जो इंजीनियरिंग शाखाओं में महान अवसरों का इंतजार कर रहे हैं। देश में कई कॉलेज एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में स्नातक के साथ-साथ मास्टर डिग्री प्रोग्राम भी प्रदान करते हैं। ऐसे में स्टूडेंट के लिए टॉप कॉलेज को चुनना एक मुश्किल काम है। इसीलिए यहां ऐसे टॉप एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग कॉलेजों के बारे में बता रहें है।

  • Indian Institute of Technology [IIT] Kanpur
  • Indian Institute of Aeronautical Engineering Dehradun
  • Indian Institute of Space Science and Technology Thiruvanthapuram
  • Punjab Engineering College Chandigarh
  • Manipal Insitute of Technology Manipal
  • Madras Institute of Technology Chennai
  • Hindustan Institute of Technology and Science Chennai
  • School of Aeronautics Delhi
  • Kerela University Thiruvanthapuram
  • Dayanand Sagar College of Engineering Bengaluru
  • Kumaraguru College of Technology Coimbatore

Job Profile

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के फील्ड में कैडिडेंट को कई करियर प्रोफाइल मिलतें है। एरोनॉटिकल इंजीनियरिंग से संबधित सफलता पूर्वक करने के बाद कैडिेडेंट अपने इस्टेंस्ट के हिसाब से जॉब प्रोफाइल चुन सकतें है।  यहां पर जॉब प्रोफाइल के बारे में जानतें है।  इ

एरोनॉटिकल इंजीनियर्स (Aeronautical Engineers) – इस जॉब प्रोफाइल में कैडिडेंट  को एयरक्राफ्ट डिजाइन करने के लिए ट्रेनिंग दी जाती है। उनके काम की मुख्य रोल एयरक्राफ्ट, प्रोपेलर सिस्टम को डिजाइन करना और construction material और एयरक्राफ्ट के एयरोडाएनमिक performance का स्टडी करना भी है।

एरोनॉटिक इलेक्ट्रॉनिक इंजीनियर (Aeronautic Electronic Engineers) – ऐसे इंजीनियर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों के संचालन और रखरखाव के लिए जिम्मेदार होते हैं जिनका उपयोग रडार, रेडियो संचार और नेविगेशन के लिए किया जाता है।

एरोनॉटिक मैकेनिकल इंजीनियर्स (Aeronautic Mechanical Engineers )- एयरक्राफ्ट के इंजन और अन्य उपकरणों के रखरखाव की जिम्मेदारी इस प्रोफाइल की होती है। इस प्रोफाइल वाले इंजीनियर नियमित रूप से एयरक्राफ्ट,के इंजनों की सर्विस और निगरानी करते हैं।

फ्लाइट इंजीनियर (Flight Engineer)- एक एयरक्राफ्ट के सुचारू और सफल टेक ऑफ और लैंडिंग के लिए जिम्मेदार इंजीनियर फ्लाइट इंजीनियर होते हैं। उनकी जिम्मेदारियों में एयरक्राफ्ट के उड़ान से पहले निरीक्षण, रिपोर्टिंग और मुद्दों को हल करना, एयरक्राफ्ट मरम्मत और सिस्टम विफलताओं का मैनेजमेंट करना और यह सुनिश्चित करना कि एयरक्राफ्ट  अच्छी स्थिति में है। और टेकऑफ के लिए तैयार है।

सहायक विमान इंजीनियर (Assistant Aircraft Engineers )- जैसा कि जॉब प्रोफाइल के नाम से पता चलता है, ऐसे इंजीनियर एरोनॉटिकल इंजीनियरों को उनकी नौकरी की भूमिका को कुशल तरीके से करने में सहायता करते हैं।

Top Recruiters

एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग में  Top Recruiters सरकारी और निजी दोनों फील्ड में हैं। देश में ऐसी कई कंपनियों हो जो एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग  को हॉयर करतीं है।

नागरिक उड्डयन मंत्रालय (Ministry of Civil Aviation) – मंत्रालय के अंडर कई सरकारी संस्था काम करतीं है। नागरिक उड्डयन मंत्रालय नागरिक उड्डयन महानिदेशालय, नागरिक उड्डयन सुरक्षा ब्यूरो और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी पर प्रशासनिक नियंत्रण रखता है। संबद्ध सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रम जैसे नेशनल एविएशन कंपनी ऑफ इंडिया लिमिटेड, एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआई) और पवन हंस हेलीकॉप्टर लिमिटेड भी मंत्रालय के अंतर्गत आते हैं।

नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (Directorate General of Civil Aviation) – नागरिक उड्डयन मंत्रालय के तहत नागरिक उड्डयन महानिदेशालय काम करता है क्योंकि यह नागरिक उड्डयन को नियंत्रित करता है। नागरिक उड्डयन महानिदेशालय को डीजीसीए भी करतें है।  एयर ट्रांसपोर्ट सर्विस Regulation, civil air regulations का enforcement, Air safety आदि जैसे काम इसके दायरे में आता है। यह सभी Regulatory मुद्दों और दिशानिर्देशों पर international civil aviation organizations के साथ समन्वय भी करता है।

वैमानिकी विकास स्थापना (Aeronautical Development Agency) – रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के तहत एक प्रयोगशाला, वैमानिकी विकास प्रतिष्ठान (एडीई) (The Aeronautical Development Establishment (ADE) aeronautical systems and technologies सहित मानव रहित हवाई वाहनों के डिजाइन और विकास के लिए जिम्मेदार है। ये अत्याधुनिक वाहन और प्रणालियां भारतीय सशस्त्र बलों के लिए हैं। विशेषज्ञता के कुछ क्षेत्रों में मानव रहित हवाई वाहन, उड़ान सिमुलेटर, पायलट रहित लक्ष्य एयरक्राफट और फ्लाइट कंट्रोल सिस्टम शामिल हैं।

रक्षा अनुसंधान और विकास प्रयोगशालाएं (Defence Research and Development Laboratories) – रक्षा अनुसंधान एवं विकास प्रयोगशाला (डीआरडीएल) अत्याधुनिक मिसाइल सिस्टम के डिजाइन और विकास और देश की रक्षा के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकियों के लिए जिम्मेदार है।  यह एक मिसाइल सिस्टम है, जो डिजाइन पर जोर देती है।

हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) – रक्षा मंत्रालय द्वारा शासित एक राज्य के स्वामित्व वाली एयरोस्पेस और रक्षा कंपनी, एचएएल विमानों के साथ-साथ हेलीकॉप्टरों के डिजाइन, विकास, निर्माण, मरम्मत और ओवरहाल की देखभाल करती है। इसके अलावा, इंजन और संबंधित सिस्टम जैसे एवियोनिक्स, इंस्ट्रूमेंट्स और एक्सेसरीज भी इसकी सेवाओं में शामिल हैं।

भारतीय वायु सेना(Indian Airforce) – भारतीय वायु सेना भारतीय सशस्त्र बलों की वायु सेना है। इसके कर्मियों और विमान संपत्तियों का पूरक दुनिया की वायु सेनाओं में चौथे स्थान पर है। इसमें आप के लिए अच्छे मौके हो सकतें है।

इसके अलावा सीएसआईआर नेशनल एरोनॉटिक्स लैब (एनएएल),  पवन हंस लिमिटेड नई दिल्ली, इसके साथ ही निजी एयरलाइंस आप के लिए अच्छे मौके हो सकतें है।

Aeronautical Engineering में Career Scope

इस समय एविएशन सेक्टर में काफी ज्यादा ग्रोथ है। इसके अलावा युवाओं में Aeronautical Engineering के प्रति एक क्रेज भी बहुत ज्यादा देखने को मिल रहा है। Aeronautical Engineer बनकर आप देश के अलावा विदेश में भी काम कर सकते हैं। Aeronautical Engineering के फील्ड में बेहतरीन इंजीनियर की हर वक्त जरूरत होती है। अगर आप भी Aeronautical Engineering course करके इस फील्ड में महारत हासिल कर लेते हैं तो आप जॉब पाने में दिक्कत नही होगी। Aeronautical Engineering में प्राइवेट और गवर्नमेंट दोनों ही सेक्टर में काम के अवसर हैं।

Salary in Aeronautical Engineering

अब आप जरुर जानना चाहतें होगें कि एयरोनॉटिकल इंजीनियरिंग के फील्ड में आप को कितनी तक की सैलरी मिलती है। कैडिडेंट के सैलरी, एजूकेशन, अनुभव, जॉब प्रोफाइल और ऑर्गेनाइजेशन पर निर्भर करतीं है। इसके साथ कैडिडेंट की सैलरी सरकारी और प्राइवेट कंपनियों में अलग- अलग हो सकती है । एक Aeronautical Engineering की Average   सैलरी क्या होती है  तो चलिए आइए जानतें है।

Level Salary (Per Annum)
Entry LevelINR 30,000 – INR 35,000
Mid LevelINR 60,000 – INR 70,000
Top LevelINR 5 lakhs – 6 lakhs

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